हमारे गुरुजी एक कहानी सुनाते थे, डॉ शुक्ला की. बड़े नामचीन सर्जन थे. अपने या अपने अपनों को चिरवाने की नौबत भगवान ना लाए पर अगर ऐसी नौबत आती तो लोग डॉ.शुक्ला के हाथों पर ही विश्वास करते.20 साल की बेहतरीन और मानवता को समर्पित सेवा के बाद आखिरकार वह दिन आ ही गया जब एक ऑपरेशन के दौरान उन्होंने एक मरीज़ के पेट में कैंची छोड़ दी. पता चलने के बाद फिर से ऑपरेशन किया और कैंची निकल आई. पर डॉ शुक्ला नहीं निकल पाए, अपनी नई छवि से. अब जब लोग उनका परिचय देते तो कहते वही डॉ.शुक्ला जो मरीजों के पेट में कैंचियां छोड़ देते हैं. मरीजों और कैंचियां, बहुवचन पर गौर कीजिए. और छोड़ देते हैं, न कि छूट गई थी एक बार. सर्जरी के लिए मशहूर आदमी, कैंचियां छोड़ने के लिए बदनाम हो गया. साल में एक गलती नहीं. एक गलती और बीस साल पर बीस पड़ी. सत्य और छवि, कद और साए में इतना इतना क्रूर अंतर.
बाते कही अनकही
Saturday, May 24, 2014
तिहार जेल के बाहर जो लोग धरना प्रदर्शन कर रहे है क्या वाकई वो लोग पढ़े लिखे समजदार है ?
उन्हें शायद ये भी पता नहीं होगा की वो किसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे है ? केजरीवाल अपने अड़ियल रवय्ये के कारण जेल गए है जिनका शायद इस सविधान पर और कोर्ट पर भरोसा नहीं है
लगता है 'आप' समजते हो की हर संस्था आपके हिसाब से चलनी चाहिए
उन्हें शायद ये भी पता नहीं होगा की वो किसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे है ? केजरीवाल अपने अड़ियल रवय्ये के कारण जेल गए है जिनका शायद इस सविधान पर और कोर्ट पर भरोसा नहीं है
लगता है 'आप' समजते हो की हर संस्था आपके हिसाब से चलनी चाहिए
कृष्ण बाण
हद तो तब हो गयी जब आज सुबह ओबामा ने बिस्तर में उठते हुए मिशेल का माथा चूमकर कहा - केम छो !!
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एक तीर कही शिकार :-
मिस्टर यूटर्न की दूकान दो दिन के लिए बंद और न्यूज़ चैनल वालो के लिए मुद्दा भी मिल गया साथ ही कोर्ट भी मोदीजी से मिली हुई है ये साबित हो गया और तो और तिहार जेल की थोड़ी साफ़ सफाई भी हो जाएगी
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'आप' पार्टी अपना नाम बदल कर '४ आदमी पार्टी' रख दे तो बेहतर है,
गाना भी गा सकते है फिर "चार बच गए लेकिन पार्टी अभी बाकि है" ;)
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मोदीजी
अब कृपया ब्रॉडबैंड और नेट पैक के रेट कम करवा दो बहोत प्रचार कर लिया आपके लिए
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देश में पहली बार ऐसा होगा की सरकार की बजाये विपक्ष बनेगा गठबंधन से
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एक तीर कही शिकार :-
मिस्टर यूटर्न की दूकान दो दिन के लिए बंद और न्यूज़ चैनल वालो के लिए मुद्दा भी मिल गया साथ ही कोर्ट भी मोदीजी से मिली हुई है ये साबित हो गया और तो और तिहार जेल की थोड़ी साफ़ सफाई भी हो जाएगी
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'आप' पार्टी अपना नाम बदल कर '४ आदमी पार्टी' रख दे तो बेहतर है,
गाना भी गा सकते है फिर "चार बच गए लेकिन पार्टी अभी बाकि है" ;)
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मोदीजी
अब कृपया ब्रॉडबैंड और नेट पैक के रेट कम करवा दो बहोत प्रचार कर लिया आपके लिए
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देश में पहली बार ऐसा होगा की सरकार की बजाये विपक्ष बनेगा गठबंधन से
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Thursday, October 17, 2013
१) एक अच्छा सा ड्रेस पसंद आता है, दूकान में कपड़ो की भीड़ में बहोत ही सीधा साधासा लगता है लेकिन फिर भी वही पसंद आता है और आप कोई दूजा ड्रेस लेकर बाहर आते है !
और रस्ते भर सोचते है काश वही ड्रेस ले लेते....!
२) सिग्नलपर गाड़ी रूकती है,एक छोटा बच्चा विंडो खड्काता है,मीठा हस्ता है, भिक मांगने वाला है ये ध्यान आता है, उसकी हसी की तरफ ध्यान न देते हुए मन ही मन सोचते है दो तीन रुपये दे दिए जाये उसको,कठिनाई से चिल्लर धुंडते "दू या न दू" इसका युद्ध मन में चलता रहता है और तभी सिग्नल छूटता है और गाड़ी आगे लेनी पड़ती है !
थोडा आगे जाने पर मन में आता है चिल्लर पैसे थे काश उस बच्चे को दे देते.....!
३) खाने की छुट्टी में ऑफिस का दोस्त उसके घर की तकलीफ बड़े विश्वास से आपको बताता है, उसकी आँखों में दर्द के बादल दिखाई देते है ! बुरा लगता है बहोत, साथ ही साथ आप उस परिस्तिथि में नहीं इसकी ख़ुशी दिल ही दिल में होती है ! कुछ मदद चाहिए क्या ऐसा पूछने का कर्तव्य होता है फिर भी आप चुप रहते है ! खाने की छुट्टी ख़त्म होती है वो उसके आप आपके काम में लग जाते है,
क्षणभर खुद पे बड़ा घुस्सा आता है मदद तो पूछी नहीं कमसे कम उसके कंधेपर सहानभूति से हाथ ही रख देते !
ऐसा ही होता है हमेशा,छोटी छोटी बाते रह जाती है,
सच तो ये है की ये छोटी छोटी बाते ही जीने की वजह होती है !
बीते हुए क्षण वापस नहीं आते रह जाती है एक टिस !
पसंदीदा गाने पे गुनगुनाये नहीं तो खाक जिए,
अपनों के दर्द में आँख न भर आये तो खाक जिए,
दोस्तों के फालतू जोक्स पे पेट पकड़ कर न हँसा जाये तो खाक जिए
ख़ुशी में ख़ुशी और दर्द में दर्द न महसूस करो तो कैसी लाइफ ?
Good Morning
और रस्ते भर सोचते है काश वही ड्रेस ले लेते....!
२) सिग्नलपर गाड़ी रूकती है,एक छोटा बच्चा विंडो खड्काता है,मीठा हस्ता है, भिक मांगने वाला है ये ध्यान आता है, उसकी हसी की तरफ ध्यान न देते हुए मन ही मन सोचते है दो तीन रुपये दे दिए जाये उसको,कठिनाई से चिल्लर धुंडते "दू या न दू" इसका युद्ध मन में चलता रहता है और तभी सिग्नल छूटता है और गाड़ी आगे लेनी पड़ती है !
थोडा आगे जाने पर मन में आता है चिल्लर पैसे थे काश उस बच्चे को दे देते.....!
३) खाने की छुट्टी में ऑफिस का दोस्त उसके घर की तकलीफ बड़े विश्वास से आपको बताता है, उसकी आँखों में दर्द के बादल दिखाई देते है ! बुरा लगता है बहोत, साथ ही साथ आप उस परिस्तिथि में नहीं इसकी ख़ुशी दिल ही दिल में होती है ! कुछ मदद चाहिए क्या ऐसा पूछने का कर्तव्य होता है फिर भी आप चुप रहते है ! खाने की छुट्टी ख़त्म होती है वो उसके आप आपके काम में लग जाते है,
क्षणभर खुद पे बड़ा घुस्सा आता है मदद तो पूछी नहीं कमसे कम उसके कंधेपर सहानभूति से हाथ ही रख देते !
ऐसा ही होता है हमेशा,छोटी छोटी बाते रह जाती है,
सच तो ये है की ये छोटी छोटी बाते ही जीने की वजह होती है !
बीते हुए क्षण वापस नहीं आते रह जाती है एक टिस !
पसंदीदा गाने पे गुनगुनाये नहीं तो खाक जिए,
अपनों के दर्द में आँख न भर आये तो खाक जिए,
दोस्तों के फालतू जोक्स पे पेट पकड़ कर न हँसा जाये तो खाक जिए
ख़ुशी में ख़ुशी और दर्द में दर्द न महसूस करो तो कैसी लाइफ ?
Good Morning
Friday, September 20, 2013
राहुलजी के भाषण को सुनने के बाद मुझे मेरा बचपन का सपना पूरा होता दिखाई
दे रहा है..................
पहले चार रोटी खाऊँगा , फिर दो दिन दवाई खाऊँगा
रात को बड़े -बड़े सपने देखुंगा ,...
सबके बाद राहुलजी के बताये मार्ग पर चलते हुए
हवाई जहाज भी उड़ाऊंगा ?
कौन कौन मेरे साथ हवाई जहाज़ में आना चाहता है अपने हाथ ऊपर करे
दे रहा है..................
पहले चार रोटी खाऊँगा , फिर दो दिन दवाई खाऊँगा
रात को बड़े -बड़े सपने देखुंगा ,...
सबके बाद राहुलजी के बताये मार्ग पर चलते हुए
हवाई जहाज भी उड़ाऊंगा ?
कौन कौन मेरे साथ हवाई जहाज़ में आना चाहता है अपने हाथ ऊपर करे
गुजरात दंगो का सच (मनगड़ंत) तो छाती ठोक के दिखा देती है मीडिया लेकिन असम दंगा, मुज़फ्फरनगर दंगो को नाम देती है जातीय तनाव, ये कैसा समाज का आइना है जो देखता कुछ है दिखता कुछ है ! गुजरात में मरे वो थे मुस्लिम और असम,मुज़फ्फरनगर में मरने वाले होते है अल्पसंख्यक, ये कैसी दोहरा मापदंड है मीडिया का ?
विकास के, भ्रष्टाचार के, समाज के सारे मुद्दों को बगल में रख रात दिन मीडिया आसाराम बापू के पीछे पड़ी है, अगर वो गुनाहगार है तो उनको सजा जरुर मिलनी चाहिए लेकिन ये क्या की तुम समाज को ही गुमराह करते फिरो, अभी आज ही आजतक न्यूज़ फ़्लैश करता है की आसाराम को क्यों चाहिए महिला वैध वो भी दो घंटे के लिए ? क्या ये तरीका सही है एक जिम्मेवार नेशनल न्यूज़ पे इस तरह की न्यूज़ प्रसारित करने का ?
रही बात Trigeminal_neuralgia नामक बीमारी की तो क्यों नहीं हो सकती वो किसी को ? खुद मेरे घर में एक मरीज़ है इस बीमारी का !
विकास के, भ्रष्टाचार के, समाज के सारे मुद्दों को बगल में रख रात दिन मीडिया आसाराम बापू के पीछे पड़ी है, अगर वो गुनाहगार है तो उनको सजा जरुर मिलनी चाहिए लेकिन ये क्या की तुम समाज को ही गुमराह करते फिरो, अभी आज ही आजतक न्यूज़ फ़्लैश करता है की आसाराम को क्यों चाहिए महिला वैध वो भी दो घंटे के लिए ? क्या ये तरीका सही है एक जिम्मेवार नेशनल न्यूज़ पे इस तरह की न्यूज़ प्रसारित करने का ?
रही बात Trigeminal_neuralgia नामक बीमारी की तो क्यों नहीं हो सकती वो किसी को ? खुद मेरे घर में एक मरीज़ है इस बीमारी का !
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