Friday, September 20, 2013

एक बौछार था वो शख्स 
बिना बरसे
किसी अब्र की सहमी सी नमी से 
जो भिगो देता था
राहुलजी के भाषण को सुनने के बाद मुझे मेरा बचपन का सपना पूरा होता दिखाई
दे रहा है..................

पहले चार रोटी खाऊँगा , फिर दो दिन दवाई खाऊँगा
रात को बड़े -बड़े सपने देखुंगा ,...
सबके बाद राहुलजी के बताये मार्ग पर चलते हुए
हवाई जहाज भी उड़ाऊंगा ?
कौन कौन मेरे साथ हवाई जहाज़ में आना चाहता है अपने हाथ ऊपर करे
गुजरात दंगो का सच (मनगड़ंत) तो छाती ठोक के दिखा देती है मीडिया लेकिन असम दंगा, मुज़फ्फरनगर दंगो को नाम देती है जातीय तनाव, ये कैसा समाज का आइना है जो देखता कुछ है दिखता कुछ है ! गुजरात में मरे वो थे मुस्लिम और असम,मुज़फ्फरनगर में मरने वाले होते है अल्पसंख्यक, ये कैसी दोहरा मापदंड है मीडिया का ?
विकास के, भ्रष्टाचार के, समाज के सारे मुद्दों को बगल में रख रात दिन मीडिया आसाराम बापू के पीछे पड़ी है, अगर वो गुनाहगार है तो उनको सजा जरुर मिलनी चाहिए लेकिन ये क्या की तुम समाज को ही गुमराह करते फिरो, अभी आज ही आजतक न्यूज़ फ़्लैश करता है की आसाराम को क्यों चाहिए महिला वैध वो भी दो घंटे के लिए ? क्या ये तरीका सही है एक जिम्मेवार नेशनल न्यूज़ पे इस तरह की न्यूज़ प्रसारित करने का ? 
रही बात Trigeminal_neuralgia नामक बीमारी की तो क्यों नहीं हो सकती वो किसी को ? खुद मेरे घर में एक मरीज़ है इस बीमारी का !

हमारा पप्पू

एक बार की बात है , हमारा जीरो बटे सन्नाटा पप्पू और हमारी पप्पी  किसी किराए के घर में रहने पहुंचा . अगली सुबह , जब वे नाश्ता कर रहे थे , तभी पप्पी ने खिड़की से देखा कि सामने वाली छत पर कुछ कपड़े फैले हैं , – “ लगता है इन लोगों को कपड़े साफ़ करना भी नहीं आता …ज़रा देखो तो कितने मैले लग रहे हैं ? “

पप्पू ने उसकी बात सुनी पर अधिक ध्यान नहीं दिया .

एक -दो दिन बाद फिर उसी जगह कुछ कपड़े फैले थे . पप्पी ने उन्हें देखते ही अपनी बात दोहरा दी ….” कब सीखेंगे ये लोग की कपड़े कैसे साफ़ करते हैं …!!”

पप्पू सुनता रहा पर इस बार भी उसने कुछ नहीं कहा .

पर अब तो ये आये दिन की बात हो गयी , जब भी पप्पी कपडे फैले देखती भला -बुरा कहना शुरू हो जाती .

लगभग एक महीने बाद वे यूँ हीं बैठ कर नाश्ता कर रहे थे . पप्पी ने हमेशा की तरह नजरें उठायीं और सामने वाली छत
की तरफ देखा , ” अरे वाह , लगता है इन्हें अकल आ ही गयी …आज तो कपडे बिलकुल साफ़ दिख रहे हैं , ज़रूर किसी ने टोका होगा !”

पप्पू  बोल , ” नहीं उन्हें किसी ने नहीं टोका .”
” तुम्हे कैसे पता ?” , पप्पी ने आश्चर्य से पूछा .

” आज मैं सुबह जल्दी उठ गया था और मैंने इस खिड़की पर लगे कांच को बाहर से साफ़ कर दिया , इसलिए तुम्हे कपडे साफ़ नज़र आ रहे हैं . “, पप्पी ने बात पूरी की .


शुभ रात्रि