एक मोटर मैकेनिक कार के इंजन के पुर्जे खोलकर
सुधार रहा था कि तभी शहर के नामचीन हार्ट
सर्जन
उसकी गैराज में आ पहुँचे...
मैकेनिक ने डॉक्टर साहब से कहा,
' जरा इस इंजन को देखिये डॉक्टर साहब, मैंने
इसके
दिल को खोलकर वाल्व निकाले और सुधार कर
वापस
लगा दिये हैं..कुछ ऐसा ही काम आप भी करते
हैं..फिर
हमारी सैलरी में इतना अन्तर क्यों है...?
डॉक्टर साहब मुस्कुराये और धीरे से मैकेनिक के
कान
में बोले,
.
.
" यही काम तब करके दिखाओ जब इंजन चालू
हो "...
सुधार रहा था कि तभी शहर के नामचीन हार्ट
सर्जन
उसकी गैराज में आ पहुँचे...
मैकेनिक ने डॉक्टर साहब से कहा,
' जरा इस इंजन को देखिये डॉक्टर साहब, मैंने
इसके
दिल को खोलकर वाल्व निकाले और सुधार कर
वापस
लगा दिये हैं..कुछ ऐसा ही काम आप भी करते
हैं..फिर
हमारी सैलरी में इतना अन्तर क्यों है...?
डॉक्टर साहब मुस्कुराये और धीरे से मैकेनिक के
कान
में बोले,
.
.
" यही काम तब करके दिखाओ जब इंजन चालू
हो "...
No comments:
Post a Comment