एक बार की बात है , हमारा जीरो बटे सन्नाटा पप्पू और हमारी पप्पी किसी किराए के घर में रहने पहुंचा . अगली सुबह , जब वे नाश्ता कर रहे थे , तभी पप्पी ने खिड़की से देखा कि सामने वाली छत पर कुछ कपड़े फैले हैं , – “ लगता है इन लोगों को कपड़े साफ़ करना भी नहीं आता …ज़रा देखो तो कितने मैले लग रहे हैं ? “
पप्पू ने उसकी बात सुनी पर अधिक ध्यान नहीं दिया .
एक -दो दिन बाद फिर उसी जगह कुछ कपड़े फैले थे . पप्पी ने उन्हें देखते ही अपनी बात दोहरा दी ….” कब सीखेंगे ये लोग की कपड़े कैसे साफ़ करते हैं …!!”
पप्पू सुनता रहा पर इस बार भी उसने कुछ नहीं कहा .
पर अब तो ये आये दिन की बात हो गयी , जब भी पप्पी कपडे फैले देखती भला -बुरा कहना शुरू हो जाती .
लगभग एक महीने बाद वे यूँ हीं बैठ कर नाश्ता कर रहे थे . पप्पी ने हमेशा की तरह नजरें उठायीं और सामने वाली छत
की तरफ देखा , ” अरे वाह , लगता है इन्हें अकल आ ही गयी …आज तो कपडे बिलकुल साफ़ दिख रहे हैं , ज़रूर किसी ने टोका होगा !”
पप्पू बोल , ” नहीं उन्हें किसी ने नहीं टोका .”
” तुम्हे कैसे पता ?” , पप्पी ने आश्चर्य से पूछा .
” आज मैं सुबह जल्दी उठ गया था और मैंने इस खिड़की पर लगे कांच को बाहर से साफ़ कर दिया , इसलिए तुम्हे कपडे साफ़ नज़र आ रहे हैं . “, पप्पी ने बात पूरी की .
शुभ रात्रि
पप्पू ने उसकी बात सुनी पर अधिक ध्यान नहीं दिया .
एक -दो दिन बाद फिर उसी जगह कुछ कपड़े फैले थे . पप्पी ने उन्हें देखते ही अपनी बात दोहरा दी ….” कब सीखेंगे ये लोग की कपड़े कैसे साफ़ करते हैं …!!”
पप्पू सुनता रहा पर इस बार भी उसने कुछ नहीं कहा .
पर अब तो ये आये दिन की बात हो गयी , जब भी पप्पी कपडे फैले देखती भला -बुरा कहना शुरू हो जाती .
लगभग एक महीने बाद वे यूँ हीं बैठ कर नाश्ता कर रहे थे . पप्पी ने हमेशा की तरह नजरें उठायीं और सामने वाली छत
की तरफ देखा , ” अरे वाह , लगता है इन्हें अकल आ ही गयी …आज तो कपडे बिलकुल साफ़ दिख रहे हैं , ज़रूर किसी ने टोका होगा !”
पप्पू बोल , ” नहीं उन्हें किसी ने नहीं टोका .”
” तुम्हे कैसे पता ?” , पप्पी ने आश्चर्य से पूछा .
” आज मैं सुबह जल्दी उठ गया था और मैंने इस खिड़की पर लगे कांच को बाहर से साफ़ कर दिया , इसलिए तुम्हे कपडे साफ़ नज़र आ रहे हैं . “, पप्पी ने बात पूरी की .
शुभ रात्रि
No comments:
Post a Comment