Sunday, April 7, 2013

हमारा पप्पू (2)

हमारा जीरो बटे सन्नाटा पप्पू बड़ा ही साहित्य प्रेमी है, और तो और उनकी धर्मपत्नी भी उन्ही की तरह थोड़ी सी भेरंट टाइप है लेकिन है बड़ी हाज़िर जवाब !
शादी के बाद सुहागरात को पप्पू अपनी पप्पी (धर्मपत्नी) से बड़े ही साहित्यिक मन से कहता है, "प्रिय, आज से तुम ही मेरी कविता हो , भावना हो, कामना हो.."
फिर क्या हमारी पप्पू की पप्पी तपाक से बोली, "मेरे लिए भी आज से तुम ही मेरे मुकेश हो, सुरेश हो, रमेश हो.."
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