Monday, April 8, 2013

हमारा पप्पू (3)


वैसे तो पप्पू और पप्पी की तरह उनकी बेटी डॉली भी जीरो बटे सन्नाटा ही है मगर उसकी बानगी कुछ और है !
पप्पू की नौजवान लड़की(डॉली) दूर दराज के एक कॉलेज में दाखिल हुई ! चार महीने बाद वह से उसकी एक चिट्टी आई जिसमे लिखा था :
डीअर मम्मी डीअर पापा ,
मै चार महीने से यहाँ के कॉलेज हॉस्टल में हु ! मुझे खेद है की में पहले पत्र नहीं लिख सखी ! मेरे ये चार महीने आपसे दूर कैसे बीते उसका विस्तृत विवरण मै इस पत्र में कर रही हु !
यहाँ आजकल मै ठीक ठाक ही हु ! मेरे यहाँ आने के एक महीने बाद हॉस्टल में आग लग गयी, जिसकी वजह से मुझे अपने कमरे की खिड़की से बाहर कूदना पड़ा था, जिसकी वजह से मेरी खोपड़ी चटक गयी थी, और मुझे मुर्चाके दौरे पड़ने लगे थे ! जिसकी वजह से मुझे दो हफ्ते हॉस्पिटल में रहना पड़ा था ! जब मे खिड़की से कूदी थी तो मेरी खुशकिस्मती से एक नजदीकी ढाबे के एक वेटर ने देख लिया था और उसी ने हॉस्पिटल फ़ोन करके अम्बुलेंस मंगवाकर मुझे हॉस्पिटल पहुचाया था ! वो बेचारा रोज़ मुझे हॉस्पिटल में देखने आता था ! दो हफ्तों बाद जब मेरी हॉस्पिटल से छुट्टी हुई थी तब मेरी खोपड़ी काफी हद्द तक जुड़ चुकी थी और दौरे भी दिन में दो या तीन बार पड़ते थे ! हॉस्टल तो आग में जलकर खाक हो गया था इसी लिए मेरे पास रहने को कोई जगह नहीं थी लेकिन उस भले वेटर ने मेरे पर मेहरबानी की और उसने मुझे अपने घर में - जो की एक नजदीकी चाल की एक खोली थी - रख लिया ! वो इतना भला लड़का निकला की मुझे उससे प्यार हो गया और हमने शादी करने का फैसला कर लिया ! अभी शादी की तारिक मुकर्रार नहीं हुई है लेकिन जब तक मेरा गर्भ दिखाई देना शुरू नहीं हो जाता तब तक हमे उसकी कोई जल्दी नहीं है ! मम्मी, पापा, मुझे यकीं है की आप लोगो को ये जानकर ख़ुशी हुई होगी की मै गर्भवती हु ! मै जानती हु आप दोनों नाना नानी बन्ने के कितने इच्छुक है और मुझे यकीं है की आप मेरे बच्चे वही प्यार-दुलार देंगे जो की जब मै बच्ची थी मुझे दिया था ! वैसे शादी में थोड़ी देर की वजह ये भी है की मेरे होने वाले पति को कोई मरदाना बीमारी है जो मुझे भी हो गयी है ! लेकिन उसमे फ़िक्र की कोई बात नहीं है हम दोनों रेगुलर पेंसिलिंग का इंजेक्सन ले रहे है और गुप्त रोगों के डॉक्टर का हमे आश्वाशन है की हम दोनों शादी से बहोत पहले भले चंगे हो जायेगे ! बहरहाल मुझे पूरा यकीं है की आप अपने होने वाले दामाद को खुले दिल से स्वीकार करेगे बावजूद वो हमारे धर्म का नहीं है, थोडा भैंगा है थोडा ;लंगड़ के  चलता है लेकिन जब दिल से दिल मिले तो इन बातो की क्या अहमियत है ! इस बात की भी क्या अहमियत है की उनका फॅमिली ट्रेड उग्रवादियों को असलह सप्लाय करना है !

मम्मी,पापा गुजस्ता चार महीने का विस्तृत विवरण मैंने ऊपर कर दिया है , अब जो आगे मैंने कहना है वो इस प्रकार है :

होस्टल में कोई आग नहीं लगी थी , न मेरी खोपड़ी चटकी,न मुझे हॉस्पिटल में दाखिल होना पड़ा, न मै गर्भवती हु, न किसी दुसरे महजब के लड़के से मुझे प्यार हुआ है और न में सिफलिस की शिकार हु ! जो हुआ है, वो ये है की कॉलेज के पहले सेमिस्टर में में सरे विषयो में फ़ैल हु ! अब आप ही सोच लीजिये की जो हुआ वो ज्यादा बुरा है की जो हो सकता था वो ज्यादा बुरा है !

आपकी लाडली बेटी,
डॉली 
============

No comments:

Post a Comment